वात्स्यायन द्वारा ‘कामसूत्र’ क्यों लिखा गया था?
इस बारे में तो वात्स्यायन ही बता सकते हैं कि उन्हें कामसूत्र लिखने की प्रेरणा और आवश्यकता क्यों महसूस हुई थी।
इतना जरूर कहूंगा उन्होंने मानव जाति को इस परम शक्तिशाली काम उर्जा के उचित नियोजन और इसके सही क्रियान्वयन की वैज्ञानिक और व्यवस्थित विधियाँ और जानकारी इस ग्रन्थ मे सम्पादित कर मनुष्य जाति को यह अनुपम भेंट प्रदान की है।
काम को हमारी संस्कृति में मनुष्य जीवन के चार परम पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मे से एक निश्चित किया गया है। काम को नियमित और सही तरीके से नियोजित किये बिना जीवन को संपुष्ट, सुरुचिपूर्ण और कल्याणकारी रूप से विकसित करने की सम्भावना नहीं है।
काम से ही इस जगत मे समस्त जीवों की और हमारी उत्पत्ति होती है, काम ही इस जीवन और जगत को सुचारू और निरंतर रखने मे मुख्य रूप से कार्य करने वाली रचनात्मक शक्ति है, ये जीवन की एक रचनात्मक विधायक ऊर्जा है जिससे समस्त प्रतिभा और कल्याण और विनाश की सृष्टि स्वयं के लिए और सभी के लिए की जा सकती है।
हमारी संस्कृति मे हमारे मनीषियों, ऋषियों और जीवन और सत्य के खोजियों और अविष्कारकों ने मनुष्य जीवन और इस संपूर्ण जगत के समस्त आयामों मे जो भी संभव खोज और प्रयोग किये जा सकते हैं किये हैं, और उसका सार रूप हमें हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत संचित ज्ञान के रूप मे विभिन्न शास्त्रों, जैसे, पुराण, वेद, उपनिषद और अन्य व्यावहारिक संहिताओं मे सुरक्षित है।
हमारे ऋषियों ने जीवन की सभी आवश्यक आतंरिक और बाह्य जरूरतों और प्रवृत्तियों और प्रकृतियों के सम्बन्ध मे सत्य और जानकारी उपलब्ध करायी है, जिसे कोई भी जांच कर, उपयोग, कर, प्रयोग और अनुसन्धान कर जान सकता है, अनुभव और लाभ उठा सकता है।
इसी प्रकार महर्षि वात्सयायन ने जीवन की इस सबसे शक्तिशाली और प्रबल ऊर्जा और प्रवृति के सम्बन्ध मे वैज्ञानिक खोज और इसके उचित उपयोग और नियोजन के सम्बन्ध मे व्यवस्थित वैज्ञानिक जानकारी जीवन भर की खोज, शोध और व्यावहारिक अनुभवों और मनुष्य की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास की आवश्यकताओं को जानते हुए इस महान और अनूठे शास्त्र ग्रंथ की रचना की है।
विश्व को कामसूत्र के रूप मे क्रमबध्द व्यवस्थित विज्ञान के रूप मे उनकी और से अनूठी भेंट है, ताकि लोग अपनी इस सबसे प्रबल उर्जा और प्रवृत्ति के सम्बन्ध मे जागरूकता पूर्ण तरीके से व्यव्हार करते हुए व्यक्तिगत तुष्टि और विकास के लिए इसका समुचित और वैज्ञानिक तरीके से उपयोग कर सके और एक बेहतर, स्वस्थ और कुंठा और विकृति रहित जीवन जी सके, यह सर्व कल्याण और जागरूकता के लिए रचा गया अनूठा शास्त्र है।
कामसूत्र, हमारी सामाजिक व्यवस्था के अनुसार, हमारे विकास की विभिन्न अवस्थाओं मे मनुष्यों की काम इच्छाओं, प्रवृत्तियों , आवश्यकताओं और उनको सही रूप मे पूरा करने की विभिन्न विधियों और आसनों के बारे मे व्यवस्थित और विस्तृत जानकरी दी है।
ताकि लोग अपने शरीर और मन मे उठने वाली इच्छाओं, और आकाँक्षाओं को सही तरह से समझ कर विवेक पूर्ण तरीके से उनकी पूर्ति और नियोजन कर सके, ताकि वो संतुलित रूप से इस सबसे प्रबल जीवन उर्जा का समुचित और कल्याणकारी उपयोग कर सके और और अपने जीवन और समाज मे एक सुव्यवस्था और सहजता इस सम्बन्ध मे निर्मित कर सके।
धन्यवाद।